Saturday, 2 May 2015

कुछ कहती है मेरी खामोशियाँ

कुछ कहती है मेरी खामोशियाँ 
पर खामोश तो सारे है यहाँ 
खामोश ये ज़मीं 
खामोश सा है क्यूँ आसमाँ 

तुम समझ नहीं पाये 
मेरे दिल कि ज़ुबाँ 
सब कुछ कह गई तुमसे 
मेरी आँखे भीगी भीगी 
तुम ढूंढते रहे तब भि 
मतलब मेरे दिल की बातों का 

हर दर्द का एहसास जैसे मिटने लगा हो 
हर टीस इस दिल की जैसे सुकून 
खाली खाली सा मेरे दिल का मकान 
जैसे ढहने लगा है 
पथरायी सी आँखे 
और अँधेरे में डूबता ये समां 

एहसास है, अलफ़ाज़ नहीं 
गर समझ पाओ तो समझ जाओ 
मतलब मेरे दिल की बातो का 
मतलब मेरी खामोशियो का 
कुछ कहती है मेरी खामोशियाँ 

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7 comments:

  1. It's beautifully penned Dipanwita... :-)

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    1. Thank you Maniparna. Congratulations on your win #Utkaladibasa #Contest. Enjoy :)

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  2. कभी नहीं जाना कि तुम्हारी हिंदी इतनी अच्छी है! Absolutely astounded! It's a lovely poem, Dipanwita!

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    1. Thank u Rakesh. Well my hindi is very good. It's just that I don't get ppl talking good hindi around.

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  3. कटु शब्दों से ज्यादा दर्द देती है खामोशियाँ

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  4. True Manisha. Silence hurts more that words. Sometimes.

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  5. बहुत देर तक खामोश रहे हम
    बहुत देर तक खामोश रहे तुम
    बहुत देर तक गुफ्तगू होती रही .....

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